मंगलवार, 2 अक्तूबर 2007

एक सुनेहरा सफ़र ' भाग ४ '

सुबेह हो गई | हमारे आगे आज बहुत लंबी सफ़र थी | बल्कि पिछले दिन हम १५० मील कम चला सके वो भी आज हमे पुरा करना था | ल्क्रोस्स से हम नाश्ता कर के ११ बजे सुबेह रवाना हुए | दिन बहुत खूबसूरत थी, आस्मान बिल्कुल नीला और साफ था | वैसे पश्चिमी मिचिगन के तरेह इल्लिनोई और विस्कोंसिन की भूमी मैं कुछ खास फर्क नहीं था | बॉर्डर पार कर मिनिसोटा मैं घुसते ही हमे सुंदर घटीं और झील नज़र आने लगे | अप्सूस हुआ कि हमारे पास केमरा नही था | सफ़र मैं पहले बार माई की संगती और गारी मैं लगी रेडियो के अलावा हमारा कुछ और ही मनोरंजन हुआ |
सड़क चौरी और सेंक्ड़ों मील तक बिल्कुल सीधी थी | साऊथ डकोटा मैं घुसने पर हमे छोटे-छोटे पहाड़ दिखने लगे | बीच मे किसी छोटे शेहेर मैं रूक कर हमने लंच किया और फिर मई ने कुछ देर तक गाडी चलाई | इस बीच मैंने गाडी मैं पिछे रखे समान से एक तकिया निकल कर एक घंटे कि नींद ले ली | साऊथ डकोटा थोरी सी सूखी हुई जगह थे, याहा हर्हाली कम सा लग रह था | रापिड सिटी पहुँचते पहुँचते १० बज गये | वैसे इतनी रात तक गाडी चलाने का इरादा नही था हमारा परंतु रस्ते मैं और शेहेर बहुत छोटे से थे और हमारा वहां रुकना मे सुरक्षा नही नज़र आ रहा था | और फिर हम पहड़ियों मैं अभी तक नही घुसे थे तो उसका भी खतरा नही था | उस रात होटल मिलना भी मुश्किल थे। सारी शेहेर छान मार ली थी पर सब होटल भर चुके थे | फिर किसी तरेह से होलीडे इन मैं एक कमरा हमे खली मिले जिसे हमने बे हिचक ले लिया।

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