मंगलवार, 9 अक्तूबर 2007

भारत का गौरवशाली अतीत

प्राचीन काल में भारत एक महान देश था। प्रायः लोग इसे सोने की चिड़िया के नाम से संबोधित करते थे। सभी प्रकार से यह देश सम्पन्न था। सभी लोग धर्म में विश्वास करते थे। समाज में बुराइयाँ नहीं थी। यहाँ तक लोग अपने घरों में ताला मारना भी आवश्यक नहीं समझते थे।

प्राचीन काल में भारत के शिक्षा का स्थर भी बहुत ऊँचा था। दूर-दूर से लोग शिक्षा ग्रहण करने भारत आते थे। नालन्दा और तक्षिला जैसे विश्वविख्यात पुस्तकालय भी भारत की शोभा बढ़ाते थे। स्त्री और पुरुष, समान रूप से शिक्षा ग्रहण करते थे। भारत में विज्ञान और कलाएँ भी बहुत विकसित थे। भारत विज्ञान, कला, संस्कृति और सभ्यता, सभी क्षेत्रों में सम्पन्न था। भारत के गौरव के चर्चे सारे विश्व में थे।

वेद, पुराण, गीता और रामायण जैसी महान पुस्तकें भारत देश की धरोहर हैं। भारतवर्ष के गौरव से आकर्षित कोलम्बस भी भारत की खोज में निकला था। अंग्रेज़ भी भारत की सम्पन्नता को देखकर, व्यापार करने आए और उन्होंने धीरे-धीरे भारत में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया।

स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात, भारतवर्ष पुनः अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त करने में प्रयत्नशील है। विज्ञान और तकनीकी विषय में कुछ हद तक सफ़लता भी प्राप्त कर ली है। वह दिन दूर नहीं जब भारत अपना प्राचीन गौरव पुनः प्राप्त कर लेगा।

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