मंगलवार, 9 अक्तूबर 2007

योग, व्यायाम और प्राणायाम

हमारे ॠषियों ने अपने जीवन-भर तपस्या के फल स्वरूप, संसार में वास्तविक सुख और शांति लाने के लिये योग विज्ञान का निर्माण किया था। सुख और शांति मात्र धन और भौतिक पदार्थों को एकत्रित करने में नहीं है। सच्चा आनंद तो मनुष्य के शरीर और मन के स्वस्थ रहने पर निर्भर करता है। यदि हम महंगी डाक्टर की फ़ीस तथा दवा इलाज पर किये जाने वाले भारी खर्चे से बचकर स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो हमें योग की शरण लेनी ही पड़ेगी।

कहा जाता है कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का नाम योग है। प्राणायाम साँस को लेने और छोड़ने की प्रक्रिया है। प्रायः हम शरीर के रोगों का इलाज औषधियों द्वारा करते हैं। परंतु यह देखा गया है कि रोग , मात्र इन औषधियों से नष्ट नहीं होते। योग और प्राणायाम के अभ्यास से हम इन शारिरिक रोगों से मुक्त हो सकते हैं।प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से विचार केन्द्रित होते हैं और इस से प्राप्त शक्ति, मनुष्य के जीवन के लिये लाभदायक सिद्ध होती है।

आज हम सभी योग और प्राणायाम के महत्व को समझ चुके हैं। इस करण आज सभी देशों में योग का अभ्यास और योग सस्थानों की स्थापना हो रही है। योग और व्यायाम से रोग नष्ट होते हैं और शरीर सुन्दर तथा बलित हो जाता है। योग द्वारा विचारों की भी शुद्धि होती है। योग, प्राणायाम और व्यायाम हमें नियमित करना चाहिये। यह तभी संभव है यदि हम उचित भोजन ग्रहण करें।

जब शरीर स्वस्थ हो जाता है, तब मन भी स्वस्थ हो जाता है। स्वस्थ मन और शरीर होने से व्यक्ति सांसारिक क्षेत्र में सफ़लता प्राप्त करता है। अत: इस विद्या का अभ्यास हमें लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करता है।

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