बुधवार, 10 दिसंबर 2008

दक्षिण भारत यात्रा

मैं अपने माता-पिता एवं भाई बहन के साथ राजधानी एक्सप्रेस मंे बैंगलौर जा रहे थे। राजधानी टेªन मंे ऐसे भी सफर बहुत अच्छा लगता है रास्ते भर खाने पीने के लिए पूछते रहते हैं और यदि टेªन मंे अच्छे लोग मिल जाते हें तो सफर का आनन्द दुगना हो जाता है हमारे कोच में बढ़े, बच्चे, हम उम्र सभी लोग थे पेरेन्ट्स अपनी उम्र के साथ बात कर रहे थे मेरे सामने की सीट पर एक लड़की अकेले सफर कर रही थी जोकि मेेरे शहर की तथा मेरे घर के पास ही रहती थी मैं उससे पहले कभी नहीं मिला था रास्ते भर हम लोग अपने स्कूल कालेज की बातें करते रहे। स्कूल मंे किस तरह खेलते थे। छोटी-छोटी बातंे, यादंे जीवन के सफर मंे किस प्रकार आनन्द देती है। इस यात्रा मंे मैंने प्राप्त किया।
दूसरे दिन हम लोग बैंगलोर पहुँच गए वहाँ पर हम लोग वृन्दावन गार्डेन भी गए जोकि वहाँ का प्रसिद्ध गार्डेन है। वहाँ पर खूब इन्ज्वाय किया फिर हमलोग शांिपंग काम्पलैक्स भी गए। दूसरे दिन मैसूर के लिए रवाना हुए। और वहाँ का राज महल एवं कई स्थल देखे। वहाँ के सभी स्थल देखने योग्य हैं। उसके बाद हम लोग गोवा चले गए। जहाँ पर समुद्र का खूब आनन्द उठाया। वहाँ से हमलोग मुंबई लौटे रास्ते में टेªन टर्मिनलांे से होकर गुजर रही थी वहाँ का नजारा देखने योग्य था।

मंगलवार, 9 दिसंबर 2008

बीजी और पापा

इस महीने मेरे नाना और नानी का साठवह प्रतिवार्षिक तिथि है. लेकिन, में नाना और नानी नहीं कहते है. में अपने नाना, पापा बुलाती हैं, और अपने नानी, बीजी बुलाती हैं. मेरी बीजी शादी की जब वे सोलह साल की थी. दो साल बाद वे अपनी बड़ी मौसी को पैदा किए. फ़िर वे दो और लड़की और दो और लड़का हुए. वे सब, शादी करके, अम्रीका आ गए. फ़िर मेरे बीजी और पापा भी आ गए. अब वे तीस साल से यहाँ रहे. लेकिन, फ़िर भी वे एक घर चंदिघर में है. हर दिसम्बर, दो महीने हे लिए वे भारत जाते है. वे दोनों भारत ज्यादा अच्छे लगते. वे सिफत यहाँ अम्रीका में रहते हैं क्यूंकि उनके सरे परिवार यहाँ है.

मुंबई

आज कल भारत बहुत कठिन समय में हैं. दो हफ्ते पहले, मुंबई में बहुत आक्रमण थे. छत्रपती शिवाजी टर्मिनस, औब्रोई होटल, ताज महल पेलेस होटल, लिओपोल्ड कैफे, कामा होस्पिताल, नरीमन हॉउस (एक ओर्थोडोक्स जेविश का जगा), मेट्रो सिनिमा और टेम्स ऑफ़ इंडिया के पीछे आक्रमण हुए. मज़गओं डॉक्स में भी एक बम विस्फोट था. एक सो अठासी लोग मरे और तीन सो तिरानवे लोग चोट हुए. हिन्दुस्तानी सरकार कहते है की पाकिस्तानी लोग उत्तरदाता हैं. कोई नहीं जानते अब क्या होगा. कोई कहते है की भारत पाकिस्तान के सात लड़ाई होंगे. हम बस इंतजार कर सकते है.

जाड़ा

अज कल मोसम बहुत ख़राब है. मुझे जाड़ा बिल्कुल पसंद नही करती. बहुत ठंडा है और बहुत बर्फ पड़ता हैं. जब यह होता है, तो फिर क्लास जाने बहुत मुश्किल है. सायद वाक्स अनिश्चित होता है और पैदल जाना बहुत कठिन हैं. गाड़ी चलाना मुश्किल भी होती है, क्योंकि सड़क भी अनिश्चित होता हैं. अक्सीद्न्ट्स बहुत होता है, और लोग मरते हैं. और, क्यूंकि बहुत ठंडा हैं, लोगो बीमार होता हैं. खाँसी आती हैं, नक् चलता हैं, और बुखार परता हैं. जाड़ा में सिर्फ़ दो चिसे अच्छी होती हैं. और वे बर्फ की आदमी और बर्फ की लड़ाई. बर्फ की आदमी बनाना और बर्फ का लड़ाई बहुत मज़े आते हैं.

सोमवार, 8 दिसंबर 2008

हिन्दी कक्षा पर विचार

अमरीका मे तीन साल लगातार रहने से मेरी हिन्दी काफ़ी बिगड़ गई थी। हाँ, मै अपने दोस्तों से हिन्दी मे ज़रूर बातचीत करता था, परन्तु मेरी भाषा की शुद्धता, जिसपर मुझे अधिक गर्व था, कहीं गुप्त हो गई थी। मेरे मुताबिक इसकी वजह है कि मिशिगन विश्वविद्यालय के भारतीय विद्यार्थी भारत के हर कोने से हैं। भारत के अलग-अलग प्रांतों मे हिन्दी बोलने का ढंग एक समान नही होता। तीन सालों के दौरान, मैने अंजान मे हिन्दी बोलने के अलग ढंग अपनी भाषा मे अपना लिए।
फिर सितंबर मे मैने हिन्दी कक्षा मे दाखिला लिया। सच कहूँ तो मैने सोचा ही नही था कि चार महीनों मे मेरी हिन्दी मे ज़्यादा सुधार आएगा। परन्तु, आज मुझे साफ़ दिख रहा है कि हिन्दी लघु कथाएं पढ़ने से और ब्लाग लिखने से मेरी हिन्दी मे काफ़ी सुधार आया है। शुरू-शुरू मे मुझे ब्लाग लिखने मे काफी समय लग जाता था, परन्तु अब, मै कम समय मे 200 शब्द का ब्लाग लिख लेता हूँ।
मै इंजीनियरिंग पढ़ रहा हूँ और लगातार इंजीनियरिंग पढ़ने से मन सूख जाता है। हिन्दी पढ़ने से मुझे हफते मे कुछ घंटों के लिए इंजीनियरिंग से छुटकारा मिल जाता है। देखा जाए तो मै बहुत ही खुश हूँ कि मैने हिन्दी कक्षा मे दाखिला लेने का फैसला किया।

शेयर बाजार

शेयर बाजार एक अनिश्चितता का बाजार है इस बाजार में वस्तुओं का आदान-प्रदान नहीं होता है बल्कि यहां पर कम्पनीयों के शेयर लिस्टेड किये जाते हैं। जिससे कम्पनीयां सीधे तौर पर जनता से जुड़ सके तथा शेयर देकर रूपया ले सकें और उन्हें जनता का भागीदार बनाया जा सके, इससे कम्पनीयों पर भी ब्याज का बोझ न पड़े और जिससे देश का विकास हो सके।

परन्तु शेयर बाजार सच पर आधारित नहीं होता है बल्कि अफवाहों के ऊपर चलता रहता है। नेताओं की बयानबाजी के ऊपर भी चलता है नेताओं की बयानबाजी का विश्शण किया जाता है और उसी से बाजार ऊपर नीचे होता रहता है बहुत सी कम्पनीयां घाटे में होने के बावजूद शेयर उसका ऊपर रहता है जबकि किसी कम्पनी का अच्छा रिजल्ट आने पर भी उसका शेयर नहीं बढ़ता है कई कम्पनियां बाजार से रूपये उगाहने के लिये कुछ साल तक अच्छा प्राॅफिट दिखाती रहती है परन्तु रूपये उगाहने के बाद घाटा दिखाने लगती है, इसमें सरकार के अफसरों का भी सहयोग मिलता रहता है।

यह बजार जोखिम से भरा हुआ है तथा कुछ स्वार्थी तत्वों के कारण अपनी गरिमा खोने लगता है तथा कुछ कम्पनियां भी इस कार्य में अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल हो सकती हैं।

दार्जलिंग एवं सिक्किम यात्रा

सन् 2005 में अपने-अपने माता-पिता एवं बहन तथा कुछ परिवारिक सदस्यों के साथ दार्जलिंग के लिए सिलीगुड़ी से रवाना हुआ। रास्ते में हरी-हरी वादियां खेत धरती पर स्वर्ग जैसा महसूस हो रहा था रास्ते में छोटी ट्रेन मिली जोकि हम लोगों के साथ-साथ चल रही थी बहुत ही मनमोहक दृश्य लग रहा था। हम लोग दार्जलिंग में होटल मं ठहरे वहां से माल रोड़ का नजारा दिखाई दे रहा था हम लोग रवाना खाकर रात में माल रोड घूमने गये दूसरे दिन बाजार घूमते रहे। हम लोग तीसरे दिन फाॅल देखने गये जोकि दर्जलिंग से करीब 3000 फिट नीचे था इस दृश्य का बयान करना एक पेज में असम्भव सा है बहुत खुबसूरत नजारा लग रहा था यहां पर दो तीन घंटे बिताने के बाद चूंकि हम लोगों को सिक्किम भी जाना था। सिक्किम के लिए रवाना हो गये रास्ते में छोटे-छोटे झरने, हरी-हरी वादियां, घुमावदार सड़के तथा रास्ते में एक इंजीनियरिंग कालेज बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।

सिक्किम में तीन दिन रहे दूसरे दिन हम लोग चाइना बार्डर, एक सेनानी का मन्दिर जोकि देखने लायक था कहा जाता है कि यह सैनिक अपनी हर माह तन्खवाह लेने आता है जबकि उसे मरे हुए कई साल बीत चुके है उसके कपड़े जूते सभी कमरे में लगे हुए थे जो कि फ्रेश लग रहे थे यह सब देखने के बाद हम लोग वापस गैंगटोक के लिये रवाना हो गयेे रास्ते में एक जगह सड़क धस गयी थी जिसमें हम लोग एवं अन्य लोगों ने भी पत्थर उठा-उठाकर सड़क बनाने की कोशिश की इतने में सरकारी गाड़ी सड़क बनाने के लिये पहुंच गयी और हम लोग बहुत किनारे-किनारे से गाड़ी को निकालते हुये गैगटोक पहुंच गये दूसरे दिन गैगटोक घूमे और बाद में सिलीगुड़ी के लिये वापस रवाना हो गये।

भारत की मुद्रा का मूल्य

भारत देश की मुद्रा का मूल्य निरन्तर डालर की मुद्रा से गिरता चला जा रहा है। वर्तमान समय में 1 डालर बराबर रू0 51.00 के बराबर हो गया है जो कि एक साल पहले रू0 40.00 के आसपास चल रहा था। इससे यह दर्शा रहा है कि भारत की मुद्रा का वेल्यू गिर रहा है।

यह भारत के नेताओं का एवं अफसरों का मानना है कि मुद्रा का वेल्यू घटने पर निर्यात ज्यादा होगा हालाकि यह कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने जैसा है इसके बाद भारत सरकार आयात करती है उसमें ज्यादा रूपया देना पड़ता है जैसे कि कच्चा तेल, सोना, चाँदी इसमें सबसे ज्यादा रूपया भारत सरकार को देना पड़ता है जिसके कारण महंगाई ज्यादा बढ़ती है तथा सरकारी कोष पर भारी दबाव बनता रहता है फलस्वरूप भारतीयों कों निर्यात ज्यादा करना पड़ता है तथा खाने के सामान आदि अधिक निर्यात करने पड़ते है। जिसके कारण गरीब और गरीब बनता है तथा धनवान अधिक धनवान बनते जाते हैं। गलत नीतियों के कारण देश को नुकसान पहुंचता है उसे बाद में ग्लोबल का ढ़ांचा पहना दिया जाता है।

रविवार, 7 दिसंबर 2008

ताजमहल

विश्व में जिन सात आश्चार्यों की बात कही जाती है उनमे ताजमहल का नाम भी सम्मिलित है। प्रेम का प्रतीक आगरा का ताजमहल जिसे मुगल बादशाह शाहजहा ने मुमताज महल की याद मे बनवाया था। इमारत की परिकल्पना एवं बनावट मुगलकालीन शिल्प का एक अद्भूत नमूना है। ताजमहल आगरा में यमुना नदी के दाहिने तट पर स्थित है। सफेद संगमरमर से निर्मित ताजमहल का सौन्दर्य चांदनी रात में सबसे ज्यादा होता है। ताजमहल पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणों के साथ चकता दिखाई देता है इसके बाहर बहुत ऊचा और सुन्दर दरवाजा है। बुलन्द दरवाजे के नाम से प्रसिद्ध यह दरवाजा सुन्दर लाल पत्थरों से बना है। इसकी गिनती संसार की सुन्दर इतारतों में की जाती है।
मुमताज महल के कारण ही इसका नाम ताजमहल प्रसिद्ध हुआ। यह अपूर्व सुन्दर स्मृति भवन आगरा मे यमुना नदी के तट पर स्थित है। इसमें प्रवेश करने के लिए एक विशाल पत्थर से बने दरवाजे से होकर जाना पड़ता हे जिस पर पत्थर से कुरान शरीफ लिखी है। ताजमहल जितना भव्य दिखता है उससे कही ज्यादा खुबसूरत होती है यहा शरद पूर्णिमा की रात, दूर आसमान मे जब चादनी विखेरता चाॅद जब ताजमहल के ऊपर से गुजरता है तो लाल और हरें रंग के ये पत्थरों की आभा चांदनी रात में हीरें सी हो उठती है।

शनिवार, 6 दिसंबर 2008

कभी कभी मुझे यकीन ही नही होता कि कुछ ही हफ्तों मे मेरी बहन की शादी होने वाली है और मेरे भाई 4 साल से शादी शुदा हैं। एसा लगता है कि कल ही मै और मेरे भाई-बहन पाठशाला मे थे। परन्तु वह एक दूसरा समय था।
जब मै ग्यारहवीं कक्षा मे था, मेरे बड़े भाई ने शादी कर ली और वे अमरीका मे बस गए। मेरी भाभी मेरे भाई के साथ ही पाठशाला गई। पाठशाला पूरा करने के बाद, दोनों ने कालेज मे कम्प्यूटर विज्ञान पढ़ा। वे सेन-फ्रेनसिसको मे रहते हैं, और जब भी मुझे कालेज से फुरसत मिलती है, मै उन्हें मिलने जाता हूँ। मेरी भाभी बहुत ही अच्छी गायक है, और पिछले साल उन्होंने अपनी पहली एलबम (एलबम का नाम है ‘देविका’) रिलीज़ की। यदि आपको मौका मिले तो ज़रूर उनके गानों को सुनें; वे ‘आई ट्यून्स’ और ‘यू ट्यूब’ पर उपलब्ध हैं।
मेरी बहन ने अप्रैल मे शादी करने का फैसला कर लिया। मुझे यह खबर सुनकर बहुत खुशी हुई, परन्तु थोड़ा सा दुख भी हुआ क्योंकि अब घर का माहौल बदलने वाला है। मेरी बहन के बिना, घर बहुत ही सूना हो जाएगा। या तो मै, या मेरे बड़े भाई दिल्ली वापस लौट जाएँगे ताकि मेरी माँ को अकेलापन महसूस न हो।

मनोरंजन

दिनभर कार्य करने से शारीरिक थकान के साथ-साथ मानसिक थकान भी हो जाती है। इसके अलावा लगातार कार्य करने से आदमी कार्य से उकता जाता है। थकावट व उकताने से निजात पाने के लिए मनोरंजन के साधन होना जरूरी हैं। मन के स्वस्थ विकास के लिए भी मनोंरजन की आवश्यकता होती है। प्राचीन काल में मनोरंजन के साधन सीमित थें, लेकिन वर्तमान वैज्ञानिक युग मे मनोंरजन के साधन अधिक हो गये है। इनमें सबसे नवीनतम मनोरजंन का साधन इंटरनेट भी है।
हर एक व्यक्ति की रूचि अलग-अलग होती है। वह अपनी रूचि के अनुसार ही मनोरंजन करता है। मनुष्य जब काम करते-करते थक जाता है तो उसे अपने कामों से अरूचि होने लगती है। इस अरूचि को विश्राम या फिर मनोंरजन से दूर किया जा सकता है। मनोरंजन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। मन का रंजन अर्थात मन का आनन्द। मनोरंजन को मनोविनोद भी कहा जाता है।

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

थैंक्सगिविंग की छुट्टी

मेरी थैंक्सगिविंग की छुट्टियॉ बहुत ही मज़ेदार थी। मेरी एक बहुत ही पुरानी मित्र (जिसका नाम है मृणालिनी) मुझे मिलने एन आर्बर आई। मृणालिनी यूनिवर्सिटी आफ टेक्सस मे अर्थशास्त्र पढ़ रही है। गर्मी की छुट्टियों मे उसने ‘गोल्डमन सेक्स’ नाम की कम्पनी के साथ काम किया। कालेज खतम करने के बाद वह उन्हीं के साथ नौकरी करेगी।
मैने थैंक्सगिविंग की छुट्टियों के समय पहली बार गाड़ी किराये पर ली। गाड़ी होना इतना आरामदायक हो सकता है; मैने कभी सोचा भी नही था। न तो बस पर निर्भर करना पड़ता है और न ही एक जगह से दूसरी जगह जाने मे पूरा दिन निकल जाता है।
चूंकि थैंक्सगिविंग के दिन भोजनालय बंद होते हैं, हमे घर पर खान पकाना पड़ा। दोस्तों के साथ खान पकाने मे बहुत मज़ा आता है। हमने पाँव भाजी और चाकलेट केक बनाया। दोनो बहुत ही स्वादिष्ट निकले।
शनीवार को मै मृणालिनी को लेनसिंग मे वह घर दिखाने ले गया जहाँ मेरा जन्म हुआ था। उस घर मे मेरे दादाजी का बहुत ही जिगरी दोस्त रहता है। मै उन्हें अपना संरक्षक मानता हूँ। वे हमेशा मुझे मेरे दादाजी के बारे मे बहुत से मनोरंजक किस्से सुनाते हैं। मै उन्हें प्रतिवर्ष थैंक्सगिविंग के समय मिलता हूँ, और वे मुझसे मिलकर बहुत ही खुश हो जाते हैं।
मैने देखा है कि अमरीका मे बुज़ुर्ग लोग बहुत ही अकेलापन महसूस करते हैं। उनके बच्चे उन्हें ज़्यादा महत्त्व नही देते। मुझे यह बिलकुल अच्छा नही लगता, और इसलिए, जब भी मुझे मौका मिलता है, मै अपने संरक्षक को मिलने लेनसिंग चला जाता हूँ।

नाना-नानी से लगाव

मै हमेशा अपने नाना और नानी के बहुत करीब रहा हूँ। जब मै 7 साल का था, मेरी माँ को दो महीनों तक काम के लिए अमरीका जाना पड़ा। मै उन दो महीनों के लिए अपने नाना-नानी के साथ रहा।
हर सुबह छः बजे मेरे नाना सैर करने जाते थे। मै उनके साथ-साथ साइकिल पर जाता था। हम ‘डीयर पार्क’ मे एक घंटे तक सैर करते थे। सैर के बाद हम घर आकर नानी के साथ स्वादिष्ट परांठे या चीले खाते थे। नाश्ते के बाद मेरे नाना हमेशा किसी काम मे लगे रहते थे और मै उनकी मदद करता था। उनही के साथ मैने आरी चलानी सीखी और गाड़ी की मरम्मत करनी भी सीखी। कभी कभी हम सब क्लब के पुस्तकालय मे भी जाते थे।
मेरे नाना भारतीय नौसेना के ‘वाईस एडमिरल’ थे। वे 1971 की जंग मे लड़े थे और उनके उत्तम नेतृत्व के लिए उन्हें महा वीर चक्र मिला। उनके घर मे जगह जगह पुरस्कारों को देखकर मै बहुत खुश हो जाता था।
दोपहर को जब मेरे नाना और नानी सोते थे, मै दूरदर्शन देखता था। हमारे घर मे मेरी माँ ने केबल नही लगाया था, और नाना-नानी के यहाँ केबल देखने मे मुझे बहुत मज़ा आता था।
मै अपने नाना को पिता के समान मानता था। माँ के लौटने के बाद भी मै हर हफते एक रात अपने नाना-नानी के घर मे बिताता था। वे दोनो बहुत ही अनुशासित तरीके से रहते थे। मै अपने जीवन मे उनका अनुशासन शामिल करने का बहुत प्रयत्न करता हूँ।

मुम्बई पर हमला: भाग 2

सुबह चार बजे तक थल सेना के फौजियों ने बहुत से बंधकों को रिहा कर लिया, परन्तु इस दौरान तकरीबन 100 बंधक मारे गए। हैरानी की बात यह है कि थल सेना के सिपाही इन आतंकवादियों को दो दिन तक नही पकड़ पाए। मेरी राय मे इसकी दो वजह हो सकती है; पहली कि संचार माध्यम के कारण आतंकवादियों को समय से पहले ही फौजियों की चाल का ज्ञान था, और दूसरी वजह हो सकती है कि सारे होटल इतने बड़े थे कि आतंकवादियों को वहाँ ढूँढना गेहूँ के खेत मे सूई को ढूँढने के समान माना जा सकता है।
27 नवंबर को दोपहर तक 200 बंधकों को ताज होटल से रिहा कर लिया गया था और ओबराय और ट्राईडेंट होटल मे बम विस्फोट हो चुके थे। एक आतंकवादी ज़िन्दा पकड़ा गया था। रात के दस बजे ताज होटल मे दोबारा बम विस्फोट हुआ। 28 नवम्बर को नारिमन हाऊस मे तीन विस्फोट हुए जिनके कारण सभी बंधक मारे गए (केवल एक छोटा बच्चा बच गया)। 29 नवम्बर को आतंकवादियों के साथ घमासान मुठभेड़ के बाद फौजी विजयी हुए।
इस घटना के बाद पूरे भारत मे भय फैल गया है। जनता सरकार से बहुत दुखी है। चूंकि पकड़े हुए आतंकवादी ने पाकिस्तान से होने का दावा किया है, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत ही बढ़ गया है। वाकई भारत मे स्थिति अभी बहुत ही नाज़ुक है।

मुम्बई पर हमला: भाग 1

पिछले हफ़्ते मुम्बई मे आतंकवादियों द्वारा रचे गए हमलों ने पूरी दुनिया मे हलचल मचा दी। यह भारत के इतिहास मे पहली घटना थी जहाँ आतंकवादियों ने लगातार तीन दिनों तक हमले किए। उनहोंने एक अस्पताल को, सिनेमा घर को, यहूदी मंदिर को और बड़े होटलों मे पर्यटकों और अमीर लोगों को निशाना बनाया ताकि संचार माध्यम उनपर ज़्यादा ध्यान दे, और पुरी दुनिया को उनके कारनामों की जानकारी मिले।
मुम्बई पुलिस का मानना है कि 26 नवम्बर को रात के दस बजे तकरीबन 25 आतंकवादियों ने अरब महासागर से मुम्बई मे प्रवेश किया। मुम्बई मे पाँव रखते ही उन्होंने पुलिस की गाड़ी चोरी कर ली। गाड़ी मे सवार होकर उन्होने मुम्बई पुलिस पर गोलियॉ चलाई, जिसके कारण दो वरिष्ठ अफसर और ए.टी.एस के चीफ़ मारे गए। आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी स्टेशन मे भी आम लोगों पर गोलियाँ चलाई।
जिसके पहले पुलिस इन आतंकवादियों का मकसद पता चला सकी, उन्होंने ताज, ओबराय और ट्राईडेंट होटल और नारिमन हाऊस पर कब्ज़ा कर लिया और बहुत से लोगों को बंधक ले लिया। कुछ ही समय बाद ताज होटल की सबसे ऊँची मंज़िल पर बम विस्फोट हुआ। 27 नवम्बर की सुबह के दो बजे, भारतीय थल सेना मुम्बई पहुँची ताकि आतंक्वादियों को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके।

सोमवार, 1 दिसंबर 2008

मुम्बई धमाका

मुम्बई धमाका, दिनांक 28 नवम्बर 2008 को निदोर्षों का मारा जाना, यह पुनः साबित करता है कि सरकार खुद ही नहीं चाहती है कि इस समस्या का समाधान हो उनके मंत्रीवर ही जब यह बोलते हैं कि आतंकवादी बिगड़े हुए भाई बन्ध है तथा बड़े शहरों में तो यह होता ही रहता है तो आतंकवाद को तो बढ़ावा मिलेगा ही। आतंकवादी कभी किसी के भाई एवं मित्र नहीं होते हैं। आतंकवाद का अर्थ ही यही है कि हिंसा करना, फैलाना जिससे उनके द्वारा किये गये कृत्य से मानव भयभीत रहे ओर देश का विकास रूक जाये।

आतंकवाद को तो वैसे परिभाषित करना सरल नहीं है। क्योंकि कोई पराजित देष स्वतन्त्रता के लिए शस्त्र उठाता है तो वह विजेता के लिए आतंकवाद होता है। वर्तमान में आतंकवाद को बढ़ावा देने में विश्व भर का जाने अनजाने में सहयोग हो रहा है।

मुम्बई बम धमाका 59 घण्टे तक मात्र 10 आतंकियों के द्वारा किया गया बहुत ही बड़ी आतंकी हमला था अगर इस आतंकवाद का निराकरण बहुत सख्ती से नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के सारे शहर एवं सम्पूर्ण विश्व इस आग की लपेट में घिर जायेगा।

धन बुरा नहीं है परन्तु धन का उपयोग किस प्रकार किया जाय उस पर निर्भर करता है जैसे एक साधु के पास धन आयेगा तो वह आत्म कलयाण के लिए होता है व्यापारी के पास धन आता है तो व्यापार बढ़ाने के लिए अधिक होता है। नेता के पास अधिक धन आने पर स्वयं के लिए उपयोग होता है और आतंकियों के पास धन आता है तो उसका उपयोग सर्वथा दुरूपयोग के लिए होता है हिंसा के लिए होता है मानव जाति को डराने एंव मारने के उपयोग में होता है।

बेरोजगारी की बढ़ती समस्या

बेरोजगारी की समस्या को हल नहीं किया गया तो देश में सामाजिक असंतोष फैल सकता है। प्रत्येक देश के लिए बेरोजगारी एक भयंकर समस्या है। रोजगार व्यक्ति जहां समाज में उत्पादन वृद्धि में योगदान करता है वही बेरोजगार व्यक्ति अर्थ-व्यवस्था पर बोझ बन जाता है बेरोजगारी मनुष्य के आत्मविश्वास को खोखला कर उसमें हीनता भर देती है इस प्रकार मनुष्य निराशवादी हो जाता है और उसके मन में समाज के प्रति आक्रोश उत्पन्न होने लगता है और आगे चलकर सामाजिक असंतोष का कारण बनता है।

देश में लूटपाट, चोरी, डकैती, हत्या, फिरौती के लिए अपहरण जैसे अपराधों में बढ़ोत्तरी बेरोजगारी के कारण ही हो रही है।
वर्तमान में अर्थव्यवस्था की मार सबसे अधिक विकासशाील देशों को भुगतनी पड़ रही है और आगे बहुत अधिक भुगतना पड़ेगा क्योंकि विकासशाील देशों में पैसा सही कार्योे में पूरा खर्च नहीं हो पा रहा है अधिकतर पैसे का दूरूपयोग हो रहा है और रूपयो की उगाई में टैक्स पर टैक्स लगाया जाता है जिससे महंगाई बढ़ती चली जा रही है सबसे अधिक कठिन समय मध्यम वर्ग के लिये हो रहा है।